omar abdullah
दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को शपथ लेने के बाद अपने पहले आदेशों में से एक में केंद्र शासित प्रदेश में पुलिस को निर्देश दिया कि वे सड़क मार्ग से यात्रा करते समय “ग्रीन कॉरिडोर” का सीमांकन न करें या यातायात न रोकें। श्री अब्दुल्ला ने अपने कैबिनेट सहयोगियों से “लोगों के अनुकूल” आचरण अपनाने का आग्रह किया, क्योंकि उनका उद्देश्य लोगों की सेवा करना है न कि उन्हें असुविधा पहुँचाना। उन्होंने यह भी कहा कि सड़क पर चलते समय छड़ी या आक्रामक हाव-भाव का उपयोग करने से बचना चाहिए omar abdullah
अब तक की कहानी: 54 वर्षीय उमर अब्दुल्ला ने बुधवार (16 अक्टूबर, 2024) को चार अन्य मंत्रियों के साथ श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (SKICC) में केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की मौजूदगी में जम्मू-कश्मीर (J&K) के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लीomar abdullah । जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और राज्य का दर्जा खोने के बाद से ये पहले विधानसभा चुनाव थे और श्री अब्दुल्ला केंद्र शासित प्रदेश के पहले सीएम हैं।अनुच्छेद 370 की बहाली के बारे में पूछे जाने पर, एनसी अध्यक्ष ने कहा, ‘इसमें समय लगेगा क्योंकि हमें अदालतों में वापस जाना होगा और अपना मामला पेश करना होगा।’ उन्होंने कहा कि एनसी के नेतृत्व वाली सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों की समस्याओं को दूर करने की दिशा में काम करेगी। omar abdullah
omar abdullah (जन्म 10 मार्च 1970) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो वर्तमान में जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने पहले 2009 और 2014 के बीच मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था और जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के वर्तमान उपाध्यक्ष हैं, यह पद उन्होंने 2009 से संभाला है। अब्दुल्ला ने 1998 से 2009 तक श्रीनगर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए लोकसभा में संसद सदस्य के रूप में भी कार्य किया और विदेश मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री थे।omar abdullah
जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के बेटे, वे 1998 में लोकसभा के सबसे कम उम्र के सदस्य के रूप में चुने जाने के बाद राजनीति में शामिल हुए, एक उपलब्धि जिसे उन्होंने बाद के तीन चुनावों में दोहराया। वे 23 जुलाई 2001 से 23 दिसंबर 2002 तक अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री थे। उन्होंने पार्टी के काम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अक्टूबर 2002 में एनडीए सरकार से इस्तीफा दे दिया।[2] 2002 के राज्य चुनावों में हार का सामना करने के बावजूद, उन्होंने 2002 में अपने पिता से नेशनल कॉन्फ्रेंस की कमान संभाली। हालाँकि, बाद में वे 2008 के राज्य चुनावों में चुने गए
जम्मू-कश्मीर की 90 सदस्यीय विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) 42 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। अपने गठबंधन सहयोगी कांग्रेस की छह सीटों और सीपीआईएम की एक सीट के साथ, वे यहां सरकार बनाने की संभावना रखते हैं।omar abdullah
2014 के बाद से यह पहला विधानसभा चुनाव है, जब जम्मू-कश्मीर एक राज्य था और अब विधानसभा को केंद्र शासित प्रदेश में काम करना है। जम्मू-कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने तुरंत कहा, “उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बनेंगे।” 1996 के बाद से यह एनसी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है, जब वह तत्कालीन 83 सदस्यीय विधानसभा में 57 सीटें हासिल करने में सफल रही थी।
omar abdullah की मुख्यमंत्री पद पर वापसी: एक नई शुरुआत
जम्मू-कश्मीर की राजनीति एक बार फिर एक ऐतिहासिक मोड़ पर है, जहां उमर अब्दुल्ला 16 अक्टूबर 2024 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं। यह शपथ ग्रहण कई मायनों में खास है, क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पहली चुनी हुई सरकार होगी। उमर अब्दुल्ला, जो पहले भी 2009 से 2014 तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं, इस बार एक गठबंधन सरकार का नेतृत्व करेंगे, जिसे नेशनल कांफ्रेंस (NC) और कांग्रेस के सहयोग से गठित किया गया है।
चुनावी नतीजे और गठबंधन की ताकत
2024 के विधानसभा चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस ने 42 सीटों पर जीत हासिल की, जो कि 90 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत की ओर एक बड़ा कदम था। कांग्रेस, सीपीआई(एम), आम आदमी पार्टी (AAP) और कुछ निर्दलीय विधायकों ने भी नेशनल कांफ्रेंस का समर्थन किया, जिससे यह गठबंधन और मजबूत हुआ। इस प्रकार, जम्मू-कश्मीर में एक स्थिर और प्रभावी सरकार के गठन की राह प्रशस्त हुई है, जो राज्य की जनता की लंबे समय से चली आ रही जरूरतों और अपेक्षाओं को पूरा कर सकेगी।omar abdullah
omar abdullah ने खुद को एक दूरदर्शी नेता के रूप में साबित किया है, जिन्होंने हमेशा जम्मू-कश्मीर के विकास और शांति के लिए काम किया है। इस बार भी उनकी प्राथमिकता जनता की भलाई होगी। अब्दुल्ला ने यह स्पष्ट किया है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन खत्म करने के लिए सभी जरूरी प्रक्रियाएं जल्द ही पूरी की जाएंगी, ताकि जनता द्वारा चुनी गई सरकार राज्य का प्रशासनिक कार्यभार संभाल सके।
राजनीतिक संदर्भ और चुनौतियां
अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में काफी राजनीतिक और सामाजिक बदलाव हुए हैं। अब्दुल्ला का नेतृत्व इस नए दौर में जम्मू-कश्मीर की दिशा तय करने के लिए महत्वपूर्ण होगा। उनके सामने राज्य को एकजुट रखने और विकास की राह पर आगे बढ़ाने की बड़ी चुनौती है। राज्य में शांति और स्थिरता बनाए रखना भी उनकी प्राथमिकताओं में शामिल होगा। इसके अलावा, राज्य की विशेष पहचान और अधिकारों को बनाए रखने के लिए वे केंद्र सरकार के साथ संतुलित संबंध बनाने की कोशिश करेंगे।
उमर अब्दुल्ला का विजन
उमर अब्दुल्ला का राजनीतिक करियर हमेशा से जनता की भलाई और राज्य के विकास पर केंद्रित रहा है। वे राज्य में बेरोजगारी, शिक्षा, और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाने की बात कर चुके हैं। उनका मानना है कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर दिए जाने चाहिए, ताकि वे राज्य के विकास में योगदान दे सकें। इसके अलावा, वे राज्य में निवेश को आकर्षित करने और पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने पर भी जोर देंगे।
उनका यह भी कहना है कि वे राज्य की विविधता को एक शक्ति के रूप में देखते हैं और इसे प्रोत्साहित करेंगे। उनका उद्देश्य एक ऐसी सरकार बनाना है जो सभी समुदायों के हितों का ख्याल रखे और राज्य में समृद्धि और शांति लाए।
भविष्य की उम्मीदें
उमर अब्दुल्ला की वापसी जम्मू-कश्मीर के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है। राज्य की जनता ने उम्मीदों के साथ उन्हें फिर से मौका दिया है, और अब यह देखना होगा कि वे कैसे इन उम्मीदों पर खरे उतरते हैं। ।